HOW TO START MINRAL WATWER PLANT |
दोस्तों, आपने अक्सर देखा
होगा कि पानी के कंटेनर्स से लदी छोटी-छोटी गाड़ियाँ सड़कों पर दौड़ती रहती हैं। इनका
काम होता है पानी के jars या cans को दुकानों और घरों तक पहुंचाना।
ये एक तेजी से फैलता हुआ बिजनेस है, यानि बहुत से लोग
इस बिजनेस में हाथ आजमा रहे हैं और अपनी पूंजी लगा कर इसे शुरू कर रहे हैं.
RO Water Plant के business में:
o आप किसी जगह पर एक RO Plant लगवाते हैं।
o उस प्लांट से फिल्टर्ड पानी को आप एक container (कूल केज, cool jug, jar या ट्रांसपेरेंट bottle)
में फिल करते हैं।
o और फिर इन्हें अपने customers को पहुंचाते हैं।
o पानी यूज हो जाने के बाद आपको अपना container वापस भी लेना होता
है।
o और आप इस सर्विस के लिए per jar के हिसाब से चार्ज करते हैं।
Generally, पानी पहुंचाने और खाली बोतल लाने का काम टाटा ऐस और टेम्पो जैसी
गाड़ियों से होता है लेकिन अगर आस-पास का आर्डर है तो साइकिल या किसी two-wheeler से भी पानी डिलीवर किया जाता है।
भारत में
बोतल बंद पानी यानी शुद्ध पीने के पानी का व्यापार सालाना 20 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। आरओ
या मिनरल वाटर बिजनेस के धंधे में ब्रांडेड कंपनियां लगी हैं। पानी के बिजनेस से
आज बिसलरी और हिमालयन जैसी कंपनियां खरबों की मालिक हैं। अब हिमालयन और बिसलरी
जैसी कंपनियां बोतलबंद पानी नीदरलैंड आदि देशों को बेचने जा रही हैं। अनुमान के
मुताबिक वर्तमान में बोतल बंद पानी का कुल कारोबार 1250 करोड़ रुपये का है और तीन साल
में यह 2500 करोड़ रुपये के स्तर को छू सकता है। कुल कारोबार में 70 फीसदी की हिस्सेदारी ब्रांडेड
उत्पादकों की है जबकि 30 फीसदी पर स्थानीय उत्पादकों का कब्जा है। मार्केट में 1 रुपए के पाउच से लेकर 20 लीटर की बोतल उपलब्ध है। लेकिन, बोतल बंद पानी के बाजार में 75 फीसदी हिस्सेदारी 1 लीटर पानी वाली बोतल की है। आप
भी लघु बिजनेस के रूप में मिनरल वाटर प्लांट लगाना चाहते हैं तो कम लागत में
ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
मिनरल वाटर बिजनेस शुरू करने से पहले बनाएं कंपनी
मशीनीकृत प्रक्रिया के जरिए जिस पानी को शुद्ध करके पीने लायक बनाया जाता है उसे आम भाषा में मिनरल वाटर कहते हैं। इस मिनरल वाटर को पैकेजिंग कर मार्केट में बेचना ही मिनरल वाटर बिजनेस कहा जाता है। मिनरल वाटर का बिजनेस शुरू करने का मन बना रहे हैं तो पहले एक कंपनी बना लें। कंपनी एक्ट के तहत इसका रजिस्ट्रेशन करवाएं। कंपनी का पैन नंबर और जीएसटी नंबर आदि ले लें। क्योंकि इसकी हर जगह जरूरत पड़ेगी। वाटर प्लांट लगाने के लिए खुद की जमीन हो तो बेहतर होगा। बोरिंग, आरओ और चिलर मशीन व कैन आदि रखने के लिए 1000 से 1500 स्क्वायर फिट जगह तो होनी ही चाहिए। पानी के स्टोरेज के लिए टंकियां बन सकें, इसकी भी व्यवस्था हो।आरओ प्लांट के लिए कहां से लें लाइसेंस
कंपनी के रजिस्ट्रेशन और जमीन आदि की व्यवस्था के बाद मिनरल वाटर प्लाट के लिए लाइसेंस लेना होता है। इसके लिए Bureau of Indian Standards ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंटर्ड, नयी दिल्ली को आवेदन करना होता है। इसकी फीस कम से कम तीन लाख रुपए है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंटर्ड यानी आईएसआई के अधिकारी मौके पर जांच करते हैं। पानी का नमूना लेते हैं। फिर अनुमति पत्र देते हैं। यह पत्र जिला खाद्य विभाग के यहां देते हुए आवेदन करना होता है। औषधि प्रशाधन विभाग भौतिक जांच के बाद प्लांट का लाइसेंस जारी करता है। इसके पहले वह मशीनों की गुणवत्ता, पानी की गुणवत्ता आदि जांचता है। पानी खारा न हो, बोरिंग कम से कम दो सौ फीट गहरी हो। वाटर लेविल ठीक हो। औषधि प्रशाधन विभाग के बाद जिला पंचायत या नगर निगम से भी एनओसी लेनी होती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बाद में परेशान न करे इसलिए उनकी भी अनुमति ले लें। चूंकि श्रमिकों से काम लेना होगा इसलिए श्रम विभाग में भी पंजीकरण जरूरी है।मिनरल वाटर मशीन और मशीन खरीदने में लागत
मिनरल वाटर प्लांट के लिए मोटे तौर पर बोरिंग मशीन, आरओ मशीन और चिलर मशीन की जरूरत होती है। इन मशीनों को चलाने के लिए बिजली का कॉमर्शियल कनेक्शन लेना होगा। बंद पानी की बिक्री सीलबंद ही की जा सकती है। पाउच या बोतल पर तैयार करने की तिथि, उपयोग की तिथि, बैच नंबर, मूल्य, लाइसेंस नंबर आदि अंकित करना जरूरी होता है। 500 लीटर प्रति घंटे से लेकर 1000 लीटर प्रति घंटे की आरओ मशीन कम से कम 2 से 2.5 लाख में आती है। मशीनों के बारे में ज्यादा जानकारी ऑन लाइन मिल सकती है। या फिर इंडिया मार्ट बेवसाइट पर जाकर आरओ सर्च करने पर कई तरह की फिल्टर मशीनों के बारे में जानकारी मिल जाएगी। पानी की बोतलों को डिलीवरी के लिए गाडिय़ों की भी जरूरत होती है। एक अनुमान के अनुसार खर्च इस प्रकार आएगा-1.बोरिंग खर्च-कम से कम 30 हजार
2.कॉमर्शियल बिजली कनेक्शन-20 हजार
3.आरओ मशीन- कम से कम 2.50 लाख
4.चिलर-कम से कम 1 लाख
5.कंटेनर-प्रति कंटेनर कम से कम 150 रुपए
6.डिलीवरी वैन-कम से कम तीन लाख
7.ट्रांसपैरेंट बोतल, जार, कूल केज आदि- एक लाख
कुल मिलाकर नए बिजनेस के लिए कम से कम 10 लाख की पूंजी चाहिए होती है। कम से कम पांच स्टाफ की जरूरत होती है। इनको वेतन और डिलीवरी वैन दौड़ाने के लिए कम से कम दो लाख प्रतिमाह की कार्यशील पूंजी की भी जरूरत होती है।
आरओ प्लांट के लिए कहां से मिलेगा लोन
आरओ प्लांट के लिए विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी बैंकों से लोन भी ले सकते हैं। 10 लाख का लोन किसी भी बैंक से मिल सकता है। बशर्तें आपकी प्रोजेक्ट पुलप्रूफ हो।
फिल्टर्ड पानी के बिजनेस में कितना मुनाफा
आरओ के पानी के बिजनेस में बहुत से खिलाड़ी काम कर रहे हैं। ब्रांडेड कंपनियों ेसे लेकर छोटे-छोटे स्तर पर लोग लगे हैं। यह पूरा बिजनेस साख और क्रेडिट पर टिका है। गुणवत्ता और डिलीवरी ठीक है तो कमाई खूब है। लेकिन लेबरों को साधना मुश्किल काम है। क्योंकि यह पूरा बिजनेस बहुत मेहनत मांगता है। वाटर सप्लाई में कोई दिक्कत हुई तो बिजनेस बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। बोतलें और जार बहुत टूटते और चोरी होते हैं यही इस बिजनेस का डैमेज है। अब बात बिजनेस की। यदि 150 रेगुलर कस्टमर हैं तो और प्रतिदिन प्रति व्यक्ति एक कंटेनर की सप्लाई है। और प्रति कंटेनर 25 रुपए कीमत है तो एक माह में 112500 रुपए की कमाई होगी। इसमें सैलरी, किराया, बिजली बिल, डीजल और अन्य खर्चे निकाल कर 15-20 हज़ार ही बचेंगे। जैसे-जैसे कस्टमर्स बढ़ते जाएंगे अच्छा प्रॉफिट मिल सकता है।
दोस्तो इस सारी problam को दूर करने के लिए हमारी कंम्प्नी लोन पर सारी प्लांट का वर्क कर रही है
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