हिन्दू धर्म कितना पुराना है
कोई लाखों वर्ष, तो कोई हजारों वर्ष
पुराना मानता है हिन्दू धर्म को। लेकिन क्या यह सच है? आओ हम कुछ
महापुरुषों की जन्म तिथियों के आधार पर जानते हैं कि कितना पुराना है हिन्दू धर्म? हिन्दू धर्म की
पुन: शुरुआत वराह कल्प से होती है। इससे पहले पद्म कल्प, ब्रह्म कल्प, हिरण्य गर्भ कल्प
और महत कल्प बीत चुके हैं।
हिन्दू धर्म कितना पुराना है- what is hindu dharma in hindi |
गुरु नानक : 500 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का
जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ और 22 सितंबर 1539 को उन्होंने देह छोड़ दी। गुरु परंपरा के सभी 10 गुरुओं द्वारा भारत
और हिन्दू धर्म रक्षित हुआ।
गुरु गोरक्षनाथ : 1,100 साल पहले हिन्दू धर्म
राहुल सांकृत्यायन के अनुसार महान
योगी गुरु गोरक्षनाथ या गोरखनाथ का जन्म 845 ई. को हुआ था। 9वीं शताब्दी में
गोरखपुर में गुरु गोरखनाथ के मंदिर के जीर्णोद्धार होने का उल्लेख मिलता है।
गोरखनाथ लंबे काल तक जीवित रहे थे।
आदिशंकराचार्य : 1,200 साल पहले हिन्दू धर्म
आदिशंकराचार्य ने हिन्दू धर्म को
पुनर्गठित किया था। उनका जन्म 788
ईस्वी में हुआ और 820 ईस्वी में उन्होंने
मात्र 32 वर्ष की उम्र में देह छोड़ दी थी। उन्होंने 4 पीठों की स्थापना
की थी। केरल में जन्म और केदारनाथ में उन्होंने समाधि ले ली थी।
चन्द्रगुप्त
द्वितीय : 1,650 साल पहले हिन्दू धर्म
सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय को
विक्रमादित्य की उपाधि प्राप्त थी। उनका शासन 380 ईस्वी से 412 ईस्वी तक रहा।
महाकवि कालिदास उसके दरबार की शोभा थे।
सम्राट
विक्रमादित्य : 2,100 साल पहले हिन्दू धर्म
विक्रमादित्य के पिता गंधर्वसेन और
बड़े भाई भर्तृहरि थे। कलिकाल के 3,000
वर्ष बीत जाने पर 101 ईसा पूर्व सम्राट
विक्रमादित्य का जन्म हुआ। उनके काल में हिन्दू धर्म ने महान ऊंचाइयों को प्राप्त
किया था। वे एक ऐतिहासिक पुरुष थे।
आचार्य चाणक्य : 2,300 साल पहले हिन्दू धर्म
चाणक्य का जन्म ईस्वी पूर्व 371 में हुआ था जबकि
उनकी मृत्यु ईस्वी पूर्व 283 में हुई थी। चाणक्य का उल्लेख मुद्राराक्षस, बृहत्कथाकोश, वायुपुराण, मत्स्यपुराण, विष्णुपुराण, बौद्ध ग्रंथ महावंश, जैन पुराण आदि में
मिलता है। चाणक्य के समय ही भारत पर सिकंदर का आक्रमण हुआ था।
भगवान श्रीकृष्ण : 5,000 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
ऐतिहासिक शोध के अनुसार भगवान
श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईस्वी पूर्व मथुरा में हुआ था। जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर
अरिष्ट नेमिनाथ भगवान कृष्ण के चचेरे भाई थे। गीता हिन्दुओं का प्रमुख धर्मग्रंथ
है, जो कि महाभारत एक हिस्सा है।
भगवान श्रीराम : 7,000 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
शोधानुसार 5114 ईसा पूर्व भगवान
राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। राम के जन्म के समय आकाश में पुनर्वसु नक्षत्र के
दौरान 5 ग्रह अपने उच्च स्थान में थे। वाल्मीकि द्वारा बताई गई यह स्थिति
आज से 7,131 वर्ष पहले निर्मित हुई थी।
ब्रह्मा : 14,000 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
अनुमानित रूप से लगभग 12,000 ईसा पूर्व भगवान
ब्रह्मा के कुल की शुरुआत हुई। ब्रह्मा के प्रमुख पुत्र ये थे- मारिचि, अत्रि, अंगिरस, पुलस्त्य, पुलह, कृतु, भृगु, वशिष्ठ, दक्ष, कंदर्भ, नारद, सनक, सनन्दन, सनातन और सनतकुमार, स्वायम्भुव मनु और
चित्रगुप्त। मरीचि के पुत्र ऋषि कश्यप थे जिनके देवता, दैत्य, दानव, राक्षस आदि सैकड़ों
पुत्र थे। ब्रह्मा को प्रजातियों की उत्पत्ति का श्रेय जाता है।
नील वराह : 16,000 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
कहते हैं कि लगभग 14,000 विक्रम संवत पूर्व
अर्थात आज से 15,923 वर्ष पूर्व भगवान नील वराह ने अवतार लिया था। नील वराह काल के बाद
आदि वराह काल और फिर श्वेत वराह काल हुए। इस काल में भगवान वराह ने धरती पर से जल
को हटाया और उसे इंसानों के रहने लायक बनाया था। उसके बाद ब्रह्मा ने इंसानों की
जाति का विस्तार किया और शिव ने संपूर्ण धरती पर धर्म और न्याय का राज्य कायम
किया। इससे पहले लोग स्वर्ग या कहें कि देवलोक में रहते थे। हालांकि मानव तब भी था
लेकिन सभ्यता की शुरुआत यहीं से मानी जाती है। इस वीडियो में उल्लेखित समय
अनुमानित और पुराणों से प्राप्त हैं। हिन्दू धर्म की यह कहानी वराह कल्प से ही
शुरू होती है जबकि इससे पहले का इतिहास भी पुराणों में दर्ज है जिसे मुख्य 5 कल्पों के माध्यम
से बताया गया है। जम्बूद्वीप का पहला राजा स्वायम्भुव मनु ही था
प्राचीन ग्रंथों
में मानव इतिहास को 5 कल्पों में बांटा गया है- (1) हमत् कल्प 1 लाख 9,800 वर्ष विक्रम संवत
पूर्व से आरंभ होकर 85,800 वर्ष पूर्व तक,
(2) हिरण्य गर्भ कल्प 85,800 विक्रम संवत पूर्व
से 61,800 वर्ष पूर्व तक,
ब्राह्म कल्प 60,800 विक्रम संवत पूर्व
से 37,800 वर्ष पूर्व तक,
(3) ब्रह्म कल्प 60,800 विक्रम संवत पूर्व
से 37,800 वर्ष पूर्व तक,
(4) पद्म कल्प 37,800 विक्रम संवत पूर्व
से 13,800 वर्ष पूर्व तक और (5) वराह कल्प 13,800 विक्रम संवत पूर्व
से आरंभ होकर इस समय तक चल रहा है।
अब तक वराह कल्प के स्वायम्भुव मनु, स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तामस मनु, रैवत मनु, चाक्षुष मनु तथा
वैवस्वत मनु के मन्वंतर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अंतरदशा चल
रही है। सावर्णि मनु का आविर्भाव विक्रमी संवत् प्रारंभ होने से 5,630 वर्ष पूर्व हुआ था।
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