शिवलिंग पर क्यों चढ़ाया जाता है गंगाजल
सदियों से धरती के समस्त प्राणियों को अपने
पवित्र जल से गंगा जीवन प्रदान करती है। हिंदू शास्त्रों में गंगा को माता का
दर्जा दिया गया है, जो भी गंगा में स्नान करता है गंगा मईया बिना किसी भेदभाव के
सभी को पापों से मुक्त कर उसे स्वच्छ और निर्मल बनाती हैं। आइए आपको बताते हैं
कैसे धरती पर अवतरित हुईं गंगा मईया और शिवलिंग पर क्यों चढ़ाया जाता है गंगा
जल.....
शिवलिंग पर क्यों चढ़ाया जाता है गंगाजल |
शास्त्रों के अनुसार, राजा भगीरथ के कठिन तप से धरती
पर अवतरित हुई गंगा के पवित्र जल को समस्त प्राणियों को पाप से मुक्ति देनेवाला
माना जाता है। राजा सगर के साठ हजार पुत्रों की मुक्ति के लिए गंगा धरती पर
अवतरित होने को राजी हो गई थी। भगवान शंकर ने गंगा के वेग को कम करने के लिए
उन्हें अपनी जटाओं में समेट लिया था ताकि गंगा ऊपरी सतह को फोड़कर धरती में न समा
जाए। शिव की जटा में गंगा को अपनी स्वतंत्रता में कमी प्रतीत होने लगी तो वह
ब्रह्मा जी से बोलीं, आप मुझे
इस कष्ट से बचाइए। ब्रह्माजी ने कहा, हे गंगा तुम अति सौभग्यशाली हो
जिसे भगवान शंकर ने अपने शीश पर धारण कर रखा है।
उनके इस
कथन पर गंगा मैया बोलीं आपका कहना ठीक है लेकिन क्या यह स्वर्गलोक में निवास करने
वाली गंगा का अपमान नहीं होगा। मेरे पवित्र जल का धरती के अच्छे और बुरे लोग उपयोग
करेंगे और इससे मुझे ग्लानी होगी। इस पर ब्रह्मा जी ने गंगा को वरदान दिया कि
तुम्हारे पवित्र जल से जितने अच्छे या बुरे लोग स्नान करेंगे उससे कहीं अधिक लोग
तुम्हारे पवित्र जल को भगवान शंकर के मस्तक पर अर्पित करेंगे।
कहते हैं कि ब्रहमा जी के इस
वरदान के कारण गंगा का पवित्र जल शिव भक्त बैद्यनाथ धाम सहित विभिन्न शिवालयों में
श्रद्धा पूर्वक अर्पित करते हैं। मान्यता है कि गंगा में स्नान करने और इस जल को
बैद्यनाथ धाम द्वादश ज्योर्तिलिंग पर अर्पित करने से प्राणियों के सभी जन्मों के
पाप नष्ट हो जाते हैं। इस कारण प्रतिवर्ष सावन माह में देश-विदेश के लाखों
श्रद्धालु बैद्यनाथ धाम और बासुकीनाथ धाम में गंगा जल अर्पित करने पहुंचते है।
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