जीवन/जिन्दगी क्या है?

कुछ निश्चित समय के
लिए मिला जीवन, जो पता नहीं कब खत्म हो जाए, या कह सकते है कि ज़िन्दगी पानी के एक बुलबुले के समान है जो कभी भी
खत्म हो सकती है । तो क्यों न इस अनमोल जीवन का एक-एक पल जीया जाए । यह नहीं सोचना
चाहिए कि जीवन में कितने पल है, अपितु यह सोच कर
चलना चाहिए कि एक पल में कितना जीवन है । जो पल बीत गए, वे चले गए, फिर हाथ नहीं आने वाले ।
अब जरा सोचें जो पल
बीत चुके वे हमने मजबूरी में काटे या उन्हें जीया । कही ऐसा तो नहीं कि उन्हें याद
करके ही घबरा जाएँ । यदि ऐसा है तो हम अपने जीवन को जीवन नहीं कह सकते ।
कर दिए बरबाद यूं
वरक-ए-किताब-ए-जिन्दगी, कुछ हमी नें फाड़ डाले, कुछ हवा में उड़ गए
इस तरह अपनी
जिन्दगी को बरबाद न करें । यह अनमोल है इसे जितना भी हो सके खुशियों से भर दें ।
चारों ओर खुशियाँ ही खुशियाँ हो और मुस्कुराहटें हों । इसी को जीना कहते है, तभी जिन्दगी सार्थक हो सकती है । अगर जिन्दगी में खुशी है तभी आप
सही मायनों में जी रहे हो और खुशी तो आप छोटी से छोटी बात में भी ढूँढ सकते हो ।
अब यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम इसे कितना और कैसे प्राप्त करते है । याद
रहे, दूसरों को खुशी देने से ही हमें सच्ची खुशी मिल सकती है ।
प्रयास करें कि हम
अपने परिवार वालों और अपने परिजनों व परिचित लोगों को जिन-जिन के सम्पर्क में हम
आते है सभी को दिल से चाहें, किसी से भी नफरत न करें । इस से
दूसरों को तो तकलीफ पहुँचती ही है उस के पहले हमारा मन भी दु :खी होता है और दिलों
में दूरियाँ बढ़ती है । जिस से भी मिले मुस्कुरा कर मिलें । क्या पता फिर मिलें कि
न मिलें । हो सकता है यह हमारी आखिरी मुलाकात हो । इस आखिरी मुलाकात की याद कैसी
हो, कड़वाहट भरी या प्यार भरी? यह सब हम स्वयं ही सोच सकते है ।
क्या आपने कभी सोचा
है कि हमारे मित्र, हमारे सगे-सम्बन्धी सिर्फ एक बार के
लिए मिले है । इस संसार से जाने के बाद कोई किसी से दोबारा मिलने वाला नहीं, बिछुड़ जाएँगे सदा-सदा के लिए कभी दोबारा न मिलने के लिए । फिर चाहे
हम लाख कोशिश कर लें, एक पल के लिए भी उन्हें नहीं मिल सकते
। रह जाती है तो सिर्फ यादें और पछतावा, सदा-सदा के लिए ।
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वो मेरे बाद रोने
है? कोई उनसे पूछे
कि पहले किस इग्लए
नाराज थे
अब मिहरबान क्यों
हँ?
भाव यह कि पहले तो
हमें किसी इन्सान में कोई अच्छाई नजर नहीं आती और उसके मर जाने के बाद कोई कमी नजर
नहीं आती । उस के दोष भी गुणों में तब्दील हो जाते है और वह कमी महसूस होती है जो
फिर कभी पूरी नहीं हो सकती । तो क्यों न हम समय रहते ही संभल जाएं और अपने जीवन का
पूरा आनन्द लें । इसे दु :खों की भट्ठी में न झोंकें । ऐसे ही एक व्यक्ति का
उदाहरण है जो अपने काम में कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहता था । काम के बोझ के कारण
उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया ।
परिणाम स्वरूप वह
तनाव में रहने लगा । घरवालों से भी प्यार के साथ बात न कर पाता । घर में झगडा रहने
लगा और घर का वातावरण तनावपूर्ण रहने लगा । एक दिन उसने सपने में देखा कि वह घर से
अपने कार्यालय के लिए जा रहा था तो अपना ध्यान एकाग्र नहीं कर पाया जिसके कारण
दुर्धटना हो गई और उसने वही दम तोड़ दिया । उसका शव उसके धर पहुँचाया गया । घरवालों
पर तो जैसे अचानक पहाड़ टूट पड़ा । वह बहुत रोए, उसका अचानक बिछुड़ जाना सहन नहीं कर पा रहे थे । उधर उस व्यक्ति की
आत्मा यह सब देख रही होती है ।
उस से उनका रोना
सहन नहीं हो रहा था । वह उन्हें छूने की कोशिश करता पर छू नहीं सकता । वह सोचता है
कि जब उसके पास सारा परिवार था तो उसके पास समय नहीं था और उसे उनकी अहमीयत नहीं
पता थी । अब वह इन सब को बताना चाहता है कि उनसे कितना प्यार करता है परन्तु बता
नहीं सकता । वह सोचता है कि अगर मुझे एक पल भी मिल जाए तो मैं इन्हें बताऊँ कि ये
मेरे लिए क्या है? परन्तु अफसोस! अब क्या हो सकता है, यह सोच कर उस व्यक्ति की आत्मा को बहुत दु :ख होता है । उधर उसकी
पत्नी और बच्चे उसकी जुदाई सहन नहीं कर पा रहे ।
वह उससे बहुत प्यार
करते थे परन्तु क भी जाहिर नहीं कर पाए । अब उनके मन में यही अफसोस था कि काश!
हमने इन्हें खुश रखा होता । जो समय इनके साथ गुजारा, वह खुशी से गुजारा होता । अब पत्नी व बच्चे यही सोच रहे थे कि काश
हमें कुछ लम्हे और मिल जाएँ । क्योंकि वे दुनियाँ में इतने उलझे हुए थे कि कभी एक-
दूसरे के मन में झाँकने की कोशिश ही नहीं की थी । लेकिन अब चाहने से क्या हो सकता
था? अब उन्हें जिन्दगी के एक- एक पल की कीमत पता चल चुकी थी । इतने में
उस व्यक्ति की खि खुल गई और वह अपने चारों ओर देखता है । वह अपने घर में है उसका
परिवार उसके पास है । उसकी जान में जान आई ।
उसने अपने
परिवारजनों को बहुत प्यार किया और पूरा जीवन प्यार से रहने का वायदा किया ।
क्योंकि अब उसे जिन्दगी की कीमत पता चल गयी कि जिसे हम भणा से बर्बाद कर रहे है ये
अमूल्य है । इस दुनियाँ के जंजाल में इतना मत फँस जाओ कि जीना ही भूल जाओ और केवल
जीने की रस्म ही अदा करते रही । खुद को खुशी से दूर न रखें । हर एक खुशी का अहसास
करें । मन को बाँ ध कर न रखें उसे उड़ने दें । हमें जीवन में आगे बढ़ना चाहिए
क्योंकि ठहराव जीवन नहीं है ।
जीवन तो इतना अनमोल
है कि किसी भी कीमत पर दोबारा नहीं मिल सकता, फिर इसका इतना अपमान क्यों? अब प्रश्न यह है कि हम सुखी कैसे रहें? कैसे अपनी जिन्दगी से दुःख-दर्द मिटाएँ? इसके लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना होगा, जो वैसे तो बहुत सरल और साधारण सी बातें है लेकिन यदि गहराई से
सोचें तो ये जिन्दगी बदल कर रख सकती है:-
सब को आता नहीं
दुनियाँ को सजा के रखना,
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